प्रकृति की पीड़ा को नज़र अंदाज़ कर हज़ारों हरेभरे वृक्षों पर चलाई जा रही है कुल्हाड़ी : भावना पांडे

देहरादून। उत्तराखंड की बेटी, राज्य आंदोलनकारी एवं प्रसिद्ध समाजसेवी भावना पांडे ने उत्तरकाशी के गंगोत्री क्षेत्र में 6000 से अधिक पेड़ों के कटान पर आपत्ति जताते हुए विरोध प्रकट किया। उन्होंने इसे प्रकृति के साथ बहुत बड़ा अत्याचार और जनता के भविष्य के साथ किया जा रहा खिलवाड़ बताया।

समाजसेवी भावना पांडे ने वृक्षों के कटान पर विरोध प्रकट करते हुए कहा, उत्तरकाशी के गंगोत्री क्षेत्र में 6000 से अधिक वृक्षों को काटा जाना सिर्फ पेड़ों का खत्म होना नहीं, बल्कि पूरे हिमालयी तंत्र, जलस्रोतों, मौसम और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य पर सीधा प्रहार है। उन्होंने कहा, ये पेड़ भागीरथी इकोनॉमिक सेंसेटिव जोन में काटे जाएंगे, जिससे गंगा का पानी सूख जाएगा। इसका असर पूरे उत्तर भारत में देखने को मिलेगा और बर्फबारी में भारी कमी दर्ज की जाएगी। इस साल धराली में आई आपदा के मद्देनजर जनहित में इस हाईवे परियोजना पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए।

उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने कहा, आज जलवायु परिवर्तन की वजह से हिमालय संकट में है। एक ओर हिमालय की चोटियाँ सर्दियों में बर्फ को तरस रही हैं, वहीं दूसरी ओर गंगोत्री में भारी संख्या में वृक्षों की बलि चढ़ाई जा रही है। भावना पांडे ने सवाल उठाते हुए कहा, आखिर इस विनाश की अनुमति सरकार ने कैसे दे दी और ये कदम किसके हित में उठाया जा रहा है?

राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा, वृक्ष हिमालय की सांस, नदियों की धड़कन और प्रकृति का आधार हैं। प्रकृति को जितना नुकसान पहुंचाया जाएगा, आने वाली पीढ़ियों को उतना ही कष्ट भुगतना होगा। हिमालय की चोटियों से आज बर्फ की गायब होती जा रही है और ग्लेशियर तेजी से पिंघल रहे हैं, वहीं प्रकृति की पीड़ा को नज़र अंदाज़ कर गंगोत्री में हज़ारों हरेभरे वृक्षों पर कुल्हाड़ी चलाई जा रही है। आज पूरे पहाड़ की आत्मा घायल हो रही और सरकार सो रही है। उन्होंने कहा, गंगोत्री में पेड़ों को काटा जाना सिर्फ अपराध ही नहीं, भविष्य के साथ विश्वासघात भी है। सरकार की इस जनविरोधी नीति के विरुद्ध सभी को मिलकर आवाज़ उठानी होगी तभी कुम्भकर्णी निंद्रा में सोई सरकार के कानों पर जूं रेंगेगी।