देहरादून। उत्तराखण्ड की बेटी, राज्य आंदोलनकारी एवं प्रसिद्ध समाजसेवी भावना पांडे ने “गीता जयंती” के पावन अवसर पर समस्त देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।
इस अवसर पर जारी अपने संदेश में भावना पांडे ने कहा- आप सभी को श्रीमद् भगवद् गीता जयंती के पावन अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। उन्होंने श्रीमद् भगवद् गीता का वर्णन करते हुए कहा- जीवन का दृष्टिकोण उन्नत बनाने की कला सिखाती है गीता। युद्ध जैसे घोर कर्मों में भी निर्लेप रहना सिखाती है गीता। कर्तव्यबुद्धि से ईश्वर की पूजारूप कर्म करना सिखाती है गीता। मरने के बाद नहीं, जीते-जी मुक्ति का स्वाद दिलाती है गीता।

भावना पांडे ने कहा- श्रीमद् भगवद गीता या गीता, कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध की शुरुआत से पहले भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच होने वाला संवाद है। मान्यता के अनुसार, जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, उस दिन को ही गीता की जन्मतिथि मानते हुए गीता जयंती मनाई जाती है। प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। गीता कईं सदियों पुराना ग्रंथ है, इसके हर शब्द में निहित तर्क, ज्ञान, जीवनदृष्टि एवं संसार को देखने एवं जीने का सार्थक नजरिया इसे एक कालातीत, सार्वभौमिक एवं सार्वकालिक मार्गदर्शक बनाता है।
भावना पांडे ने कहा- “भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है, दुष्टों की दृष्टि का विस्तार होता है और अधर्म की वृद्धि होती है तब-तब मैं अवतार लेता हूं या प्रतिनिधि के रूप में किसी महापुरुष को भेजता हूं ताकि विश्व के अंदर शांति तथा धर्म का साम्राज्य स्थापित हो सके।”
उन्होंने कहा- गीता का पावन संदेश हमें धर्म, कर्तव्य और सत्य के पथ पर अडिग रहने की प्रेरणा देता है। यह जीवन के संघर्षों में संतुलन, धैर्य और आत्मविश्वास बनाए रखने की शक्ति प्रदान करती है। आइए, हम सभी श्रीमद्भगवद्गीता के उपदेशों को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लें।
